Vol. 2, Issue 2 (2017)
फर्रूखाबाद जनपद के दरिद्र व्यक्तियों की समस्याएँ
Author(s): डाॅ0 नीतू सिंह तोमर
Abstract: फर्रूखाबाद जनपद के दरिद्र और उनके आश्रित रोटी के लिए रोज अपना जीवन दांव पर लगाते हैं। यह कूडे़-कचडे़ के ढ़ेरों से कबाड़ बीनते हैं, तालाब-गड्डों से मेड़क-मछली ढूँढ़ते है, खेत-वन में पक्षी-खरगोश पकड़ते हैं, बिलों में सांप निकालते हैं, कोल्ड में सड़े आलू बीनते हैं, भीख माँगते हैं और रूखी-सूखी रोटी से अपना तथा आश्रितों के पेट की भूख की आग मिटाते हैं। इनके आवास गन्दगी के ढेरों, गन्दे नालों, तालाबों, गन्दगी क्षेत्र में कीडे-मकोड़ों के बीच टूटी-फूटी झोपड़ियों में हैं जहाँ जहरीले कीड़-मकोड़ों का प्रकोप है। कुत्ते, बिल्ली, बकरी, बन्दर, नांग, बिच्छू, गधे, खच्चर आदि परिवार के सदस्य के रूप इनके साथ रहकर इनकी आजीविका एवं सुरक्षा में साथ निभाते हैं। यह दरिद्र और उनके आश्रित शिक्षा एवं रोजगार सहित दरिद्र कल्याण योजनाओं तथा आरक्षण लाभ से जबरदस्त वंचित हैं। इनको मिलने वाले भूमि-पट्टे, आवास, राशन, नौकरी, सब्सिडी, लोन, आरक्षण सभी कुछ सक्षम एवं कर्मचारी हड़प रहे हैं। इन पर अपराधी का ठप्पा लगाकर दबंग इन्हें उत्पीडित कर बेगार कराते हैं और मादक द्रव्य, शराब आदि फर्जी मामलों फंसाकर जेल में डलवा देते हैं और स्त्रियों से शराब बिकवाते हैं। नौकरी में आरक्षण व्यवस्था होने के बावजूद इनकी बेरोजगारी देश और समाज तथा भारतीय संविधान के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।