Vol. 2, Issue 2 (2017)
सांख्यदर्शन की प्रकृति एवं पुरूष
Author(s): डाॅ0 अशोक कुमार दुबे
Abstract: "त्रिगुणानां साम्यावस्था प्रकृतिः"। 'प्रकरोति जनयति इति प्रकृतिः'- अर्थात् सम्पूर्ण जगत् को उत्पन्न करने वाली शक्ति। 'व्यक्तात् व्यक्तमुत्पद्यते' अर्थात् व्यक्त से ही व्यक्त की उत्पत्ति होती है ऐसा ही वैशेषिक और नैयायिक मानते हैं। व्यक्त से ही व्यक्त तथा उसके गुणों की उत्पत्ति होती है तो सर्वथा अप्रमाणिक अव्यक्त क्यों माना जाय? इस प्रकार न्याय- वैशेषिक के प्रश्न के उत्तर स्वरूप ईश्वरकृष्ण -"भेदानां परिमाणात्"- इत्यादि कारिका को प्रस्तुत करते हैं।